Wednesday, July 7, 2010

कामनवैल्थ के स्वागत के लिए तैयार आगरा

             कुछ दिन से देख रहा हूं कि आगरा अब सिर्फ पुराना अग्रवन और अकबराबाद वाला आगरा नहीं रहा। शहर की पुरानी गलियों में मीरो-गालिब के अंदाज में घूमते लोगों, चैराहे पर पनवाड़ी के रंगीले हाथों से पान बनवाते अड्डेबाजी में लीन और संकरी गलियों में सदियों से जमे मकानों की तीसरी-चौथी मंजिल से पतंग और कबूतर उड़ाते, सुबह-सुबह सूरज की पहली किरण के साथ अलसाती हुई आंखों को मलते हुए जलेबी-बेड़ई के नाश्ते को उदरस्थ करते लोगों के दृश्यों वाला ही आगरा नहीं है अब। आगरा अब सिर्फ जौहरी बाजार, किनारी बाजार, फव्वारा, रावतपाड़ा, राजा की मण्डी सुभाष बाजार, दरेसी, जामा मस्जिद के चारों ओर चहकता और महकता नहीं है। चमचमाते माल्स में महंगी फरारी और वाक्स वैगन से उतरने वाले हाईहील्स, सदर में रात को सदरिंग करते नई हवा के ताजे झोंके और मल्टीप्लैक्स की शानदार सीटों को जानदार करने वाले भी इस शहर की शान हैं. नए और पुराने का ये अद्भुत संगम अगर कहीं देखना हो तो आगरा से बढ़िया उदाहरण आपको कम ही मिलेंगे। 
     तीन अक्टूबर से नई दिल्ली में होने वाले कामनवैल्थ खेलों के लिए आने वाले मेहमानों के स्वागत के लिए आगरा को भी तैयार किया जा रहा है। तमाम नए कार्य शहर की सूरत और सीरत बदलने के लिए किए जा चुके है और किए जा रहे हैं।  अंतर्राष्टीय स्तर की नई मार्कोपोलो बसें, शहर की लाइफ लाइन एम0जी0रोड पर जगह-जगह चमचमाते शौचालय, बस प्रतीक्षालय, साज सज्जा के साथ दमकते होटलों की कतारें, साफ-सुथरे चौड़े चौराहे, अंतर्राज्यीय बस स्टेशन, बड़े-बड़े माल्स के साथ मुहब्बत की नगरी जो अब वास्तव में महानगर का रूप ले चुकी है, पूरी दुनिया को अमन और मुहब्बत की सौगात देने के लिए तैयार है। 
मैंने अपने मोबाइल से आगरा के कुछ बदलावों को आप सबके लिए कैद किया है। आप भी नए आगरा की तस्वीर से रूबरू हों और आगरा आने का कार्यक्रम बनायें आगरा आपके स्वागत में पलकें बिछाये हुए है -                                        










            





                                                                                      

13 comments:

  1. बहुत सुंदर - धन्यवाद्

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  2. आगरा! शाहजहाँ वाला! अमा मियां क्यूँ मजाक कर रिये हो!
    हम क्या कम हैं मसखरी करने को!
    हा हा हा......

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  3. Bahut sundar, agli baar aayenge to ham bhi zaroor dekhenge.

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  4. टुंडला अऊर आगरा में बिताया हुआ बचपन का आगरा से सच्चो बहुत बदल गया है. अच्छा लगा एक बार फिर से देखकर..

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  5. really nice,Not only Agra, all the cities are changinging, Best Wishes,
    vivj2000.blogspot.com

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  6. बहुत सुंदर अच्छा लगा आगरा देखकर..

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  7. संजीव, मैं अक्सर बाहर क्यों नहीं देखता हूं जब तक कोई दिखाये नहीं. लगता है कि सब कुछ बदल रहा है लेकिन इस बद्लाव में हम खो नहीं रहे हैं. जब मैं भीड में,चकाचौंध में होता हूं तो बिल्कुल अकेला हो जाता हूं, इसीलिये मैं किसी ऐसे बदलाव को देखता ही नहीं हूं, जो अपने हर कदम के साथ कुछ कमजोर लोगों को किनारे ढ्केल देता है.

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  8. Agra ki yaad taza karane ka aabhar

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  9. आगरा को नये रूप में देखना बहुत अच्छा लगा ... बहुत सुंदर चित्र हैं ....

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  10. भाई...गौतम जी
    हौसला-अफजाई का शुक्रिया. आपकी ग़ज़लें कई जगह पढ़ी हैं....साखी पर भी पढ़ीं. कमाल की लफ्ज़- अदायगी है.....! आगरा से तो हम भी बहुत मरासिम हैं.....वहीँ से पढ़ाई की है दोस्त....कचौड़ी -बेडाई की खुशबू अब तक ताज़ा है..... ! तस्वीरों ने एक बार फिर पुराने सफे खोल दिए....!
    हर कदम इम्तेहान है फिर भी
    वो बड़ा सख्तजान है फिर भी


    रेज़ा-रेज़ा बिखर गये सपने
    उसकी हिम्मत जवान है फिर भी


    झूठ ने पर कतर दिए सच के
    इस परिंदे में जान है फिर भी
    उफ़ हर एक शेर जबरदस्त है भाई.....!

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  11. बदली है ज़माने की नज़र....
    देखिये क्या हो . . .

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  12. चलो किसी बहाने सही बदलाव तो हुया। तस्वीरें बहुत सुन्दर हैं । धन्यवाद

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  13. कबूतर, जलेबी और बेड़ई का जिक्र कर गए
    बंदर नजर नहीं आए कहीं जाने वो किधर गए

    आती नहीं है मुझको गजल कहनी लिखनी
    भीग जाएं आंखें ऐसी वो कहानी कह गए।

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आप यहां आये बहुत अच्छा लगा.
आपकी राय मेरे लिए बहुमूल्य है.